बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छतासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता
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आहार पोषण में सुधार के लिए नीतियाँ एवं प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ
(Policies for Improving Dietary Nutrition and Immunity Boosting Food)
पाठ्य सामग्री
भारत ने अल्प पोषण और कुपोषण की दरों में तेजी से सुधार किया है। 2006 से 2010 के दौरान पाँच वर्ष से छोटे बच्चों में कुपोषण की दर 48% से घटकर लगभग 38% हो गई है। इसके बावजूद विश्व के जिन देशों में सर्वाधिक अल्पपोषित बच्चे हैं उनमें से एक भारत भी है। अल्प पोषण से बच्चों का स्वास्थ्य और विकास तथा स्कूलों में उनका प्रदर्शन * एवं वयस्कों की उत्पादकता अत्यन्त प्रभावित होती है।
हमारी सरकार और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ व्यापक स्तर पर खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम संचालित करती है। लेकिन इससे लाभाविन्त होने वाले कम ही लोग हैं। आज लोगों के स्वास्थ्य स्तर को सुधारने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। जिसके अन्तर्गत लोगों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है।
स्वास्थ्य के ही सुख का सार माना गया है; अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखना चाहिए। व्यक्तियों से समाज का निर्माण होता है; अतः समस्त समाज के व्यक्तियों का स्वास्थ्य ठीक रहना चाहिए। यही जन स्वास्थ्य है, जिसमें छोटे-से-छोटे तथा बड़े-से-बड़े, गरीब से गरीब और धनी - से धनी व्यक्ति के स्वास्थ्य हित के बारे में सोचकर, उसके अनुकूल कार्य किया जाए। वास्तव में व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा जन स्वास्थ्य में घनिष्ठ सम्बन्ध है। हर प्रकार से व्यक्तिगत स्वास्थ्य के नियमों का पालन करने वाला व्यक्ति भी अनिवार्य रूप से स्वस्थ नहीं रह सकता, यदि जन स्वास्थ्य का स्तर निम्न है। उदाहरण के लिए यदि किसी क्षेत्र में अधिकांश व्यक्तियों का स्वास्थ्य का स्तर निम्न है तथा वे विभिन्न संक्रामक रोगों से पीड़ित हों तो उस परिस्थिति में व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्ति भी ज्यादा समय तक अपने आप को स्वस्थ नहीं रख पाता।
आज जन चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य हित की बात सोचने और उस पर कार्य करने की जरूरत है। उपलब्ध सुविधाओं को इस देश की प्रमुखतः अशिक्षित जनता तक पहुँचाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं तथा कार्यकर्त्ताओं की चेतना की जरूरत होती है। यद्यपि सरकार या शासन इन सबकी व्यवस्था तो कर सकता है किन्तु उसको प्राप्त करके स्वास्थ्य की रक्षा व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप में तो शिक्षित वर्ग का प्रयत्न ही हो सकता है।
उपर्युक्त विवेचन का अर्थ है कि स्वास्थ्य की रक्षा मनुष्य मात्र के लिए व्यक्तिगत रूप में जरूरी है ही, सार्वजनिक रूप में भी जरूरी है। प्रदेशीय या राष्ट्रीय योजनाएँ इसी आशय से देश भर में लागू की जाती है। विश्व की अनेक संस्थाएँ स्वास्थ्य रक्षा के लिए सरकार और इन्हीं स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से कार्य कर रही हैं।
जन- स्वास्थ्य की आवश्यकता एवं महत्त्व को ध्यान में रखते हुए हम कह सकते हैं कि जन-सामान्य को जन-स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना आवश्यक है। जन-सामान्य को जन- स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
सभी प्रकार के स्वास्थ्य सेवाएँ इकाई के आधार पर ब्लॉक क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं। अतः इन्हें अपने हैल्थ गाइड्स की सहायता से अपने स्थान पर ही प्राप्त किया जा सकता है। सामान्यतः स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ ये केन्द्र विशेष राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजनाओं या कार्यक्रमों को भी जन-जन तक पहुँचाते हैं। कुछ विशिष्ट स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं के संचालन हेतु निम्नलिखित राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं-
1. राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम,
2. राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम,
3. राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम,
4. मातृ रोग एवं शिशु कल्याण कार्यक्रम,
5. राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम,
6. राष्ट्रीय क्षय रोग नियन्त्रण कार्यक्रम,
7. राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियन्त्रण कार्यक्रम |
इन कार्यक्रमों में उक्त रोग से सम्बंधति जानकारी, रोग का इलाज, रोकथाम के उपाय आदि के लिए अलग-अलग कार्यकर्त्ता अपने नियन्त्रक कार्यों में लगे हैं। इन सबकी सेवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला चिकित्सालय (स्त्री या पुरुष ) तथा अन्य शहरी चिकित्सालयों आदि से प्राप्त की जा सकती है।
आवश्यकता है जन चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य हित की बात सोचने और उस पर कार्य करने की। उपलब्ध सुविधाओं को इस देश की प्रमुखतः अशिक्षित जनzता तक पहुँचाने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं तथा कार्यकर्त्ताओं की चेतना की आवश्यकता होती है। यद्यपि सरकार या शासन इन सबकी व्यवस्था तो कर सकता है किन्तु उसको प्राप्त करके स्वास्थ्य की रक्षा व्यक्तिगत या सार्वजनिक रूप में तो शिक्षित वर्ग के प्रयत्न द्वारा ही हो सकती है।
अंत में, स्वास्थ्य की रक्षा मनुष्य मात्र के लिए व्यक्तिगत रूप में तो आवश्यक है ही, सार्वजनिक रूप में भी आवश्यक है। प्रदेशीय या राष्ट्रीय योजनाएँ इसी आशय से देश भर में लागू की जाती हैं। विश्व की अनेक संस्थाएँ स्वास्थ्य रक्षा के लिए सरकार और इन्हीं स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से कार्य कर रही हैं। इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO = World Health Organization) तथा यूनीसेफ (UNICEF) प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं।
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- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
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- उच्च रक्त चाप (Hypertensoin)
- मोटापा (Obesity)
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- टाइफॉइड (Typhoid)
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न
- राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
- परिवार तथा विद्यालयों के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
- स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रः प्रशासन एवं सेवाएँ
- सामुदायिक विकास खण्ड
- राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
- स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
- प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर खाद्य
- वस्तुनिष्ठ प्रश्न